यहाँ कोई नियम नहीं, कोई बंदिश नहीं, बस वही बोलिए जो आपके अन्दर है, क्योंकि आपके अन्दर है भारत कि असली तस्वीर, तो छोडिये बनावटीपन, और आज निकाल डालिए मन कि भड़ास, अपनी रचना भेजने, अपनी बात कहने के लिए हमें मेल करें. editor.bhadohinews@gmail.com

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

आजाद हिंद तू फ़ौज बना

अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना!!
 

श्रम करके संध्या को घर में, अपने बिस्तर पर आया था
उस दिन ना जाने क्यों मैंने, मन में भारीपन पाया था

जब आँख लगी तो सपने में लहराता तिरंगा देखा था
राष्ट्र ध्वजा की गोद लिए, भारत माँ का बेटा था

जयहिंद का नारा बोल बोल के आकर वह चिल्लाये थे
उस रात स्वंय बाबू सुभाष, मेरे सपने में आये थे

बोले भारत भूमि में जन्मा है, तू कलंक क्यों लजाता है
राग द्वेष की बातो पर, क्यों अपनी कलम चलाता है

इन बातो पर तू कविता लिख, मै विषय तुम्हे बतलाता हूँ
वर्तमान के भारत की मै,झांकी तुझे दिखाता हूँ

हमने पूनम के चंदा को राहू को निगलते देखा है
हमने शीतल सरिता के पानी को उबलते देखा है

गद्दारों की लाशों को चन्दन से जलते देखा है
भारत माता के लालों को शोलो पर चलते देखा है

देश भक्त की बाहों में सर्पों को पलते देखा है
हमने गिरगिट सा इंसानों को रंग बदलते देखा है

जो कई महीनो से नही जला हमने वो चूल्हा देखा है
हमने गरीब की बेटी को फाँसी पर झूला देखा है

हमने दहेज़ बिन ब्याही बहुओ को रोते देखा है
मजबूर पिता को गर्दन बल पटरी पर सोते देखा है

देश द्रोही गद्दारों के चहरे पर लाली देखी है
हमने रक्षा के सौदों में होती हुई दलाली देखी है

खादी के कपड़ो के भीतर हमने दिल काला देखा है
इन सब नमक हरामो का,शेयर घोटाला देखा है

हमने तंदूर में नारी को रोटी सा सिकते देखा है
लाल किले के पिछवाड़े, अबला को बिकते देखा है

राष्ट्रता की प्रतिमाओ पर,लगा मकड़ी का जाला देखा है
जनपद वाली बस्ती में हमने कांड हवाला देखा है

आतंकवाद के कदमों को इस हद तक बढ़ते देखा है
अमरनाथ में शिव भक्तों को हमने मरते देखा है

होटल ताज के द्वारे, उस घटना को घटते देखा है
माँ गंगा की महाआरती में, बम फटते देखा है

हमने अफजल की फाँसी में संसद को सोते देखा है
जो संसद पर बलिदान हुए, उनका घर रोते देखा है

उन सात पदों के सूरज को भारत में ढलते देखा है
नक्शलवाद की ज्वाला में, मैंने देश को जलते देखा है

आजादी के दिन दिल्ली,बन गई दुल्हनिया देखी है
15 अगस्त के दिन भोलू की भूखी मुनिया देखी है

हमने संसद के अन्दर राष्ट्र की भ्रस्टाचारी देखी है
हमने देश के साथ स्वयं, होती गद्दारी देखी है

ये सारी बाते सपने में नेता जी कहते जाते थे
उनकी आँखों से झर झर आंसू भी बहते जाते थे

बोले जा बेटे भारत माता के, अब तू सोते लाल जगा
अभी वतन आजाद नही, आजाद हिंद तू फ़ौज बना
.


Manzoor Khan Pathan
Contact  Numbers  :   92528-84207

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

रक्षाबंधन का महत्व

रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधनका शास्त्रीय महत्व !

अर्थ एवं कारण

१. ‘बहनकी जीवनभर रक्षा करूंगा’, यह वचन देकर भाई-बहनसे धागा बंधवाता है एवं उसे वचनबद्ध करनेके लिए बहन धागा बांधती है । ‘बहन एवं भाई इस संबंधमें बंधे रहें’, इसलिए यह दिन इतिहासकालसे प्रचलित है ।
२. राखी बहन एवं भाईके पवित्र बंधनका प्रतीक है ।
३. जैसे बहनकी रक्षाके लिए भाई धागा बंधवाकर वचनबद्ध होता है, उसी प्रकार बहन भी भाईकी रक्षाके लिए, ईश्वरके चरणोंमें विनती करती है ।
४. इस दिन श्री गणेश एवं श्री सरस्वतीदेवीका तत्त्व पृथ्वीतलपर अधिक मात्रामें आता है, जिसका लाभ दोनोंको ही होता है ।
५. बहनका भक्तिभाव, उसकी ईश्वरके प्रति तीव्र उत्कंठा एवं उसपर जितनी गुरुकृपा अधिक, उतना उसके भाईके लिए अर्ततासे की गई पुकारका परिणाम होता है और भाईकी आध्यात्मिक प्रगति होती है ।

बहन एवं भाईके बीच लेन-देन

बहन एवं भाई दोनोंमें साधारणत: ३० प्रतिशत लेन-देन रहता है । राखी पूर्णिमा जैसे त्यौहारोंके माध्यमसे उनमें लेन-देन घटता है, अर्थात् वे स्थूल स्तरपर एक-दूसरेसे बंधते हैं; परंतु सूक्ष्म-स्तरपर एकदूसरेका लेन-देनका चुकाते हैं । अत: दोनोंको ही इस अवसरका लाभ उठाना चाहिए ।

राखी कैसी होनी चाहिए  ?


     समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार सोनिया गाँधी को वाईरल फिभर हुआ था ! फिर बाद में खबर आयी कि सोनिया जी अपनी शल्य-क्रिया करवाने विदेश गयी हैं ! कहाँ गयी पता नहीं ? परन्तु फिर खबर आयी कि अमेरिका में उस्तरा चलवा रही हैं ! अब सहज प्रश्न उठता है कि वाईरल फिभर के लिए शल्य-क्रिया (ओपरेशन) की क्या आवश्यकता है ? फिर किसी ने बताया कि कैंसर हो गया है !

अब इस बीमारी कि खबर के बाद कहा गया कि देश सम्हालने का जिम्मा वो राहुल को सौंप गयी हैं ! परन्तु बाद में खबर आयी कि राहुल और प्रियंका भी साथ गए हैं ! और बढेरा भी ! फिर यह देश तो अब कागजों पर चल रहा है ! पता नहीं बेचारे मनमोहन अब क्या करेंगे ?

भाई आप लोग तो कुछ भी कयास लगाओ मुझे उससे कोई मतलब नहीं है ! लेकिन मेरी अंतर्दृष्टि कहती है कि यह देश में आसन्न संकटों के कारण उपस्थित प्राण-भय के कारण यह होसियारी से किया गया पलायन है ! यह देश से भागने की दूसरी कोशिश है सोनिया (एड्विग एन्टोनिया एल्बिना मायिनो) गाँधी का ! पहली कोशिश तब की गयी जब स्विस बैंकों में जमा धन को ठिकाने लगाने ८ जून को निजी विमान से स्विट्ज़रलैंड गयी थी अपने सभी खाताधारी सम्बन्धियों के साथ !

आज कौन क्या गा रहा है !

1. मनमोहन सिंह..."मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं, बड़ी मुश्किल में हूँ मैं किधर
जाऊं"
2-सोनिया गाँधी ... "मैं चाहे ये करूं मैं चाहे वो करूं मेरी मर्जी"
3-राहुल गाँधी ..."मैं राही अनजान राहों का, ओ यारो मेरा नाम अनजाना"
4-दिग्विजय सिंह..."मुझको यारो ...माफ़ करना मैं नशे में हूँ"
5-राहुल-दिग्विजय ..."ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे"
6-कनिमोझी ..."मैं तो भूल चली बाबुल का देश, तिहाड़ जेल प्यारा लगे"
7-करुणानिधि ..."बाबुल की दुआएं लेती जा,जा तुझको घोटालों का ताज मिले"
8-बाबा रामदेव ..."सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा"
9-अन्ना हजारे ..."जिन्हें नाज है हिन्द पर वो कहाँ हैं"
10-सभी देशभक्त भारतीय ..."इतनी शक्ति हमें देना दाता,मन का विश्वास कमजोर हो
ना"
11 कम्युनिस्ट .... यह लाल रंग कब हमे छोडेगा.

email from 
NILKANTH KORANNE

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

सही निर्वाचन


सनातन संस्कृति की मूर्धन्य पत्रिका "कल्याण" के अंक ८ (अगस्त २०११) में वर्तमान राजनीति को झकझोर देने वाली , श्री मान सुरेन्द्र कुमार जी द्वारा प्रेषित ,  एक अत्यंत ही शिक्षाप्रद घटना का वर्णन प्रकाशित हुआ है .....
स्वनामधन्य अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने एक ऐसे व्यक्ति को अपने देश का रक्षामंत्री नियुक्त किया , जिसने हर मौके - बेमौके पर लिंकन साहब की कटु आलोचना की . राष्ट्रपति के निकटस्थ प्रायः सभी शुभ चिंतकों ने उन्हें ऐसी नियुक्ति न करने की सलाह दी , हर तरह से उन्हें समझाया कि जो व्यक्ति हमेशा आपकी कटु आलोचना , और वह भी हर स्तर पर , करते आया है उस व्यक्ति को आपने इतने महत्वपूर्ण पद पर क्यों आसीन किया   है ?
अब ज़रा ध्यान से पढ़ें :
लिंकन साहब ने कहा कि मुझे "लिंकन भक्त" नहीं बल्कि "राष्ट्र भक्त" और योग्य व्यक्ति इस पद के लिए चाहिए , और इनसे योग्य व्यक्ति इस  दायित्व के लिए कोई हो ही नहीं सकता 
अब मेरी बात :

सोमवार, 1 अगस्त 2011

लाखों महिलाओं के कंधे पर टिका करोड़ों का व्यापार है पर फिर भी महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं,




छो…छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक….” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं.


अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा रहे होते हैं, उस समय इस इलाके की महिलाएं और बच्चे जंगल-जंगल भटक कर तेंदूपत्ता तोड़ रहे होते हैं. यह पत्ता ही है, जिसे बेचने के बाद उनके घरों में चुल्हा जल पाता है.


मंगलवार, 26 जुलाई 2011

ऐसा भी एक है गांव जहाँ हर कोई करना चाहे नेत्रदान‏

 परहित सरिस धर्म नहीं भाई। इसका मर्म यमुनानगर के कनालसी गांव ने बखूबी समझा है। करीब 2500 की आबादी वाले इस गांव की एक तिहाई से ज्यादा आबादी ने नेत्रदान का संकल्प कर नेत्रहीनों की बेनूर दुनिया में रंग भरने का बीड़ा उठाया है। अपने बाद अपनी आंखों से दूसरों की जिंदगी में रोशनी करने का वचन उठाने में कनालसी के बूढ़े ही नहीं बच्चे भी पीछे नहीं हैं। कोशिश है अब इस गांव को शत-प्रतिशत नेत्रदानियों की बस्ती बनाने की। खास बात है कि नेत्रदान की शपथ लेने वालों में 200 बच्चे भी शामिल हैं। गांव के 15 परिवार तो ऐसे हैं, जिनके हर सदस्य ने नेत्रदान के लिए फार्म भरा है। इस महादान मिशन में लगे गांव के उत्साही युवाओं की कोशिश शेष बचे लोगों को भी नेत्रदान संकल्प के लिए रजामंद करने का है। ग्रामीण कनालसी को सौ फीसदी नेत्रदानी गांव बनाने के लक्ष्य को लेकर खासे उत्साहित हैं। क्षेत्र में रोटरी क्लब के असिस्टेंट गवर्नर संदीप जैन बताते हैं कि नेत्रदान को लेकर कनालसी के लोगों का उत्साह अपने आप में एक मिसाल है। बीते कुछ समय के दौरान क्लब के माध्यम से अब तक एक हजार लोग नेत्रदान संकल्प का फार्म भर चुके हैं। इस मुहिम से जुड़े स्थानीय युवा राजबीर का कहना है कि गांव में कुछ लोग लोग ऐसे भी हैं जिनके नेत्रदान संकल्प-पत्र रोटरी क्लब के पास नहीं हैं। इनमें अधिकांश बच्चे हैं जिनके नेत्रदान फार्म उनके माता-पिता ने घरों में ही रखे हैं। नेत्रदान को प्रोत्साहन की इस महती मुहिम को सेवा भारती संस्था से जुड़े 74 वर्षीय कृष्ण गोपाल दत्ता भी बड़े प्रेरणा हैं। दत्ता लोगों को नेत्रदान के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। उन्हें भरोसा है कि जल्द ही कनालसी का हर शख्स अपने आंखों को अमर कर चुका होगा और उनके विश्वास का आधार गांव के लोगों की नेत्रदान संकल्प के प्रति कटिबद्धता है। 
-प्रस्तुत आलेख मुझे ख़ुशी गोयल ने भेजा है मुझे यह हिंदुस्तान की आवाज़ के लिए उपयुक्त प्रतीत हुआ इसीलिए इसे मैं यहाँ प्रकाशित कर रही हूँ आप सभी अपने विचार टिपण्णी के माध्यम से भी प्रस्तुत कर सकते हैं और ख़ुशी को उनके मेल आई-डी पर भी भेज सकते हैं .ख़ुशी का मेल-आई डी है -
प्रस्तुति-शालिनी कौशिक
 

सोमवार, 25 जुलाई 2011

भ्रूण-हत्या, आधुनिक समाज के माथे पर किसी अजन्मे बच्चे के खून का लगा एक काला टीका.


पर समाज की उस बुरी नज़र का क्या...जो उस अजन्मे बच्चे पर लग चुकी होती हैं, देश के दूर-दराज़ गाँओं में ही नहीं अपितु आज के आधुनिक समाज में या शहरों में भी ये कुकृत्य देखने को मिलता है, और...सबसे ज्यादा भ्रूण-हत्याएं इसलिए की जाती हैं..क्योंकि.....वो भ्रूण एक लड़की का है......
इस तरह से तो प्रकृति नष्ट हो जायेगी,..... जब प्रकृति को पालने वाली...नारी या...माँ ..ही न होगी..... 

रविवार, 24 जुलाई 2011

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन  सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी 
       
      केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का वितरण एक ऐसी विशेषता है जो संघात्मक संविधानों में प्रमुख है .प्रो.के.सी.व्हव्हियर के अनुसार -,''संघात्मक सिद्धांत से तात्पर्य है ,संघ व् राज्यों में शक्तियों का वितरण ऐसी रीति से किया जाये कि दोनों अपने अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हों ,किन्तु एक दूसरे के सहयोगी भी हों.''इसका तात्पर्य यह है कि राज्यों को कुछ सीमा तक स्वायत्ता होनी चाहिए .अमेरिकन संविधान संघात्मक संविधानों का जन्म दाता है उसमे केंद्र की शक्तियां परिभाषित की गयी है ,राज्यों की नहीं  .अमेरिकन संविधान में अवशिष्ट शक्तियां राज्यों में निहित की गयी हैं .परिणाम स्वरुप राज्य अधिक शक्तिशाली थे ;किन्तु कालांतर में आवश्यकता पड़ने पर केंद्र की शक्तियां बढती गयी और राज्यों की स्वायत्ता का ह्रास होता गया वर्तमान में स्थिति यह है कि  राज्यों की स्वायत्ता नाम मात्र की रह गयी है.
      

शनिवार, 23 जुलाई 2011

आदर्श भल्ला जी की वाणी

     बचपन में कहानिया सुनने का बहुत शौक था,  उन्ही में से एक कहानी  फिर याद आती है, क्यों की मुझे शायद यह आज तक कई बार सुननी पड़ी है,  एक बार आप के साथ क्यों की यह कभी भी जीवित हो उठती है. एक राजा था राजपाठ  ठीक ठाक चल रहा था, चारो तरफ खुशहाली थी, खेत खलिहान भरे पुरे लहलहाते थे, खजाने अपार सम्पति से भरे पड़े थे. .........आज भी निकल रहे हैं.....  राजा बूढा हो चला था.  बस कमी थी तो सिर्फ एक.  और वो थी की राजा के कोई संतान नहीं थी.  दरबारी गन प्रजा जन, सभी बहुत चिंतित थे की आखिर राजा के बाद क्या होगा. 


१८५७ का पूरा सच

१८५७ का पूरा सच ..... देश में एक गीत बहुत ज्यादा गाया जाता है.... " दे दी हमे आजादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल... " अब कोई ये बताये की जिस देश ने १८३० का संथाल, १८३९ का कूका आन्दोलन, १८३८ का भील आन्दोलन, सिख आन्दोलन, नागा साधू आन्दोलन में ४ करोड़ भारतीय शहीद हुए .... उसके बाद देश के इतिहास में महान प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुए जिसमे १ करोड़ ७० लाख भारतीयों ने मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर किये...... देश में ७ लाख क्रान्तिकारियो जिनमे भगत सिंह, अशफाक उल्लाह खान, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, राजेंदर लाहिरी, जतिन दस, रोशन लाल, भगवती चरण वोहरा, दुर्गा भाभी ने देश की अजादी के लिए प्राण न्योछावर कर दिए.

*** राहुल की राजनीतिक सक्रियता - एस. शंकर ***

राहुल गांधी स्वत: जब भी कुछ महत्वपूर्ण बोलने की कोशिश करते हैं तो गड़बड़ हो जाती है। प्राय: कांग्रेस के रणनीतिकारों को स्पष्टीकरण देने आना पड़ता है। राहुल को सक्रिय राजनीति में आए 13 वर्ष हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में ये अच्छे लक्षण नहीं कि बार-बार उनके बयान पर सफाई देनी पड़े। 'एक प्रतिशत' आतंकी घटनाओं
के न रुक सकने वाला नवीनतम कथन भी वैसा ही साबित हुआ। दो महीने पहले भच4�र्ष हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में ये अच्छे लक्षण नहीं क�6 में असत्य साबित हुए। इससे पहले राहुल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को एक जैसा बता चुके हैं। ऐसे बयानों से कांग्रेस को कुछ चुनावी लाभ भले मिले, किंतु देश का हित नहीं हो रहा। शत्रु और मित्र के प्रति ऐसी समदर्शिता से आतंकवाद विरोधी लड़ाई कमजोर ही हुई है।

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

आज का भारत वर्ष !


जब आंतरिक मामले हों कमजोर
और हास्यास्पद हो विदेश नीति
अनुशाशन शुचिता क़ानून प्रबंधन
शून्य हों राजनैतिक इच्छाशक्ति 

भ्रष्टाचार के नशे में धुत गाड़ीवान
जब हम बैलों के ऊपर बोझ लादे
जबरन पिलाए रोज दूषित पानी
और शाम बारूद के उपर खूंटे बांधे 

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
 - सुलभ

 http://sulabhpatra.blogspot.com/
--
Sulabh Jaiswal
Skype: IT.EXPERT

वैष्णव जन तो तेने कहिये - शम्भु चौधरी

कानून के इस अंधेपन, गूंगापन और नंगेपन को यदि देखना हो तो वह भारत के किसी भी हिस्से में जाकर देख सकते हैं। इस देश में पहले कुछ विदेशी भ्रमणकारी भारतीयों की गरीब बस्तियों में जाकर रहते उसका अध्ययन करते और भारत की दरिद्रता व नग्नता को एक अच्छा सा नाम जैसे ‘‘सिटी ऑफ जॉय’’ देकर अपना माल हमें ही बेचने में सफल हो जाते और हम भारतीय इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि "Kolkata is City of Joy" यह न सिर्फ हमारी खोखली मानसिकता को दर्शाती है।

जय हिंद, वन्देमातरम...

सोनिया जिसकी मम्मी है, वो सरकार (कोंग्रेस) निकम्मी है.

आडवानी जिसका ताऊ है, वो विपक्ष (भाजपा) बिकाऊ है.

बाकि कुछ (सपा, बसपा) मस्त है, पक्ष बदलने में लिप्त है.
...
बचे खुचे नाकाबिल (लालू आदि) है, इन्हें कुछ नहीं हासिल है.

देश को बचाना है, तो अब खुद ही आगे आना होगा.

अपने घरो के सुकून को छोड़ सड़को पे उतरना होगा.

ये हालत अब बदलो देश की, भगत सिंह तो हो पर पडोसी के घर में

अब हम खुद बन जाये भगत सिंह, देश हित में मरना कबूल हो

ऐ वतन, ऐ वतन!!!!! हमको तेरी कसम तेरी राहों पे जान अपनी लुटा जायेंगे.

फूल क्या चीज है भेंट अपने सिरों की चढ़ा जायेंगे.
जय हिंद, वन्देमातरम. वन्देमातरम.


यह हमें उदय पालजी ने ईमेल से भेजा है.

रविवार, 17 जुलाई 2011

सवाल-जवाब प्रतियोगिता भाग दो-- कसाब आतंकी या मेहमान

 कसाब आतंकी या भारतीय मेहमान

मुंबई बोम ब्लास्ट, क्या यह भारतीय ख़ुफ़िया विभाग की चूकहै,  क्या यह "ISI" पाकिस्तान की साजिश है??  या यह भ्रष्ट भारतीय राजनीती  या जन सेवको  (Civil Servants) की लापरवाही है.  
आइये  जानते है इस पर हमारे संस्थापक हरीश सिंहजी की क्या राय है.?

यह प्रश्न सभी भारतवासियों के दिल में खटक रहा है की कसाब के मामले में सरकार सही कर रही है गलत ...

शनिवार, 16 जुलाई 2011

दोस्तों अब ये झंडा झुका दो

दोस्तों अब ये झंडा झुका दो

ये जो होता है सोचा नहीं था
ये बुरा खवाब अपना नहीं था
आदमी कैसे-कैसे बिक रहा है?
हमको अब कोई तो जवाब  दो
दोस्तों अब ये झंडा झुका दो...........

पेट बच्चों का भरने की खातिर
एक माँ ने अपनी अस्मत लुटाई है
हर एक खतरे की जद में
चाहे बहना हो या  चाहे भाई
अरे कोई  तो इनको बचा लो 
दोस्तों अब ये झंडा झुका दो............

कसाब है क्या !!!

                                                               भारतीय क़ानून व्यवस्था को ऐसा जटिल बना कर छोड़ दिया है कि बड़े से बड़ा अपराधी ( आज कल इस श्रेणी में अधिकाँश राजनैतिक पार्टियां भी शोभा बढ़ाने की हौड़ में जोर आजमाइस कर रही है !) आरामगाह (जिसे हम साधारण नागरिक जेल कहते हैं !) में शान-ओ-शौकत से अपनी सेहत सुधारने में लगा है.उस अपराधी को भली भांति मालुम है कि अनेक अनेक अनेक (जितनी भी बार 'अनेक' लिखो,कम ही पड़ता है !)  लोग उसके लिए दुआ माँगने की कतार में खड़े हैं.

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

कोन बनेगा राष्ट्रप्रेमी भाग १


मित्रो आज आपको हिंदुस्तान की आवाज  ईमेल ग्रुप से निचे दिए गए सवाल पूछे गए थे 

                                                
सवाल न. १:-हमारा राष्ट्रीय गीत कोनसा है और इसके रचियेता  कोन है. 

सवाल न. २:-हमारा राष्ट्रीय गान कोनसा है और इसके रचियेता  कोन है.   


और सही जवाब है 


जन गण मन, भारत का राष्ट्र गान है जो मूलतः बाँग्ला में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था । संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्र-गान के रुप में २४ जनवरी, १९५० को अपनाया था       

वन्दे मातरम् भारत का राष्ट्रगीत है।
बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन 1882 में उनके उपन्यास ‘आनन्द मठ’ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है । इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी।


 जिन्होंने सही जवाब भेजें है उनके नाम इस प्रकार है  

१:- अनामिका घटकजी
२:- विनायक शर्माजी
३:- राम प्रसाद जालानजी
४:- आदर्श कुमार पटेलजी
५:- महेश बारमाटे "माहीजी"
६:- दक्ष_राजाजी
७:- शिखा कौशिकजी
८:- हरीश शिंगजी 
९ :-  अभिषेक मिश्र जी  

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमा कहते हैं, नीचे जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं

सम्मानित स्वजन, हिंदुस्तान की आवाज़ द्वारा जीवनदायिनी माँ के बारे में लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी, समय सीमा के अन्दर जो प्रविष्टियाँ आई उसे "हिंदुस्तान की आवाज़-आपकी धरोहर" में प्रकाशित किया जा रहा है. आप लोग ऐसी ही प्रतियोगिताओ में अपनी भागीदारी देकर आगे भी सहभागिता निभाते रहे. आप सभी को शुभकामना.
सबसे   खुशनसीब -- shikha p. kaushik 

औलाद जो सदा माँ के करीब  है ;
सारी दुनिया में वो ही खुशनसीब  है .

जिसको परवाह नहीं माँ के सुकून की ;
शैतान का वो बंदा खुद अपना रकीब है .

दौलतें माँ की दुआओं की नहीं सहेजता 
इंसान ज़माने में वो सबसे गरीब है .

जो लबों पे माँ के मुस्कान सजा दे 
दिन रात उस बन्दे के दिल में मनती ईद है .

माँ जो खफा कभी हुई गम-ए -बीमार हो गए ;
माँ की दुआ की हर दवा इसमें मुफीद है .

है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
मुबारक हरेक लम्हा जब उसकी होती दीद है .
   
                         शिखा कौशिक 
माँ --- ARCHANA GANGWAR

जब  मै जागू  सारी  रात
लिए  गोद  अपनी  संतान
आंसू   लुढ़क आये  थे  गाल पर
जब  मै  सोचू   बस  ये  बात .

क्या  मेरी  माँ  भी  जागी  होगी
रात  आँखों   में  काटी  होगी
बड़े   जतन  से  पाला  होगा
अरमानो  से  ढाला  होगा …..

मुझे रोते जो सुन लिया होगा
हर काम को छोड़  दिया होगा

बाहों में भर लिया होगा
होंठो से चूम लिया होगा

अदाओं में बचपना लाके
मुझ को हंसा दिया होगा
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मां ----राजेन्द्र स्वर्णकार
हृदय में पीड़ा छुपी तुम्हारे , मुखमंडल पर मृदु - मुसकान !
पलकों पर आंसू की लड़ियां , अधरों पर मधु - लोरी - गान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां ! तुम पर तन मन धन बलिदान !
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!! 
कष्ट मौत का सहजीवन देती कि नियम सृष्टि का पले !
मात्र यही अभिलाषा और आशीष कि बच्चे फूले - फले !
तेरी गोद मिली, वे धन्य हैं मां ! …क्या इससे बड़ा वरदान ?
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!!
तू सर्दी - गर्मी , भूख - प्यास सह' हमें बड़ा करती है मां !
तेरी देह त्याग तप ममता स्नेह की मर्म कथा कहती है मां !
ॠषि मुनि गण क्या , देव दनुज सब करते हैं तेरा यशगान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां !  स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान !!
भेदभाव माली क्या जाने , जिसने स्वयं ही बीज लगाए !
फल कर पेड़ ; फूल फल दे या केवल कंटक शूल चुभाए !
करुणा स्नेह आशीष सभी में बांटे  तुमने एक समान !
तुम पर जग न्यौछावर माता ! स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान!! 
तेरा जीवन - चरित निहार' स्वर्ग से पुष्प बरसते हैं मां !
तुम- सा क़द - पद पाने को स्वयं भगवान तरसते हैं मां !
चरण कमल छू'कर मां ! तेरे , धन्य स्वयं होते भगवान !
धन्य तुम्हारा जीवन है मां !  स्वत्व मेरा तुम पर बलिदान !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
राजस्थानी रचना मा ई मिंदर री मूरत
जग खांडो , अर ढाल है मा !
टाबर री रिछपाळ है मा !
जायोड़ां पर आयोड़ी
विपतां पर ज्यूं काळ है मा !
दुख - दरियाव उफणतो ; जग
वाळां आडी पाळ है मा !
मैण जिस्यो हिरदै कंवळो
फळ - फूलां री डाळ  है मा !
जग बेसुरियो बिन थारै
तूं लय अर सुर - ताल है मा !
बिरमा लाख कमाल कियो
सैंस्यूं गजब कमाल है मा !
लिछमी सुरसत अर दुरगा
था'रा रूप विशाल है मा !
मा ई मिंदर री मूरत
अर पूजा रो थाळ है मा !
जिण काळजियां तूंनीं ; बै
लूंठा निध कंगाल है मा !
न्याल ; जका मन सूं पूछै
- था'रो कांईं हाल है मा !
धन कुणसो था'सूं बधको ?
निरधन री टकसाल है मा !
राजेन्दर था'रै कारण
आछो मालामाल है मा !
           -राजेन्द्र स्वर्णकार       
©copyright by : Rajendra Swarnkar
राजेन्द्र स्वर्णकार
फ़ोन : 0151 2203369
मोबाइल : 09314682626

 हमने जब जब माँ को देखा -- Shalini kaushik

हमने जब जब माँ को देखा
   ख्याल ये मन में आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
   मिटा दी अपनी काया.
बचपन में माँ हाथ पकड़कर
   सही बात समझाती
गलत जो करते आँख दिखाकर
   अच्छी डांट पिलाती.
माँ की बातों पर चलकर ही
   जीवन में सब पाया
हमें बनाने को ही माँ ने
  मिटा दी अपनी काया.
समय परीक्षा का जब आता
   नींद माँ की उड़ जाती
हमें जगाने को रात में
   चाय बना कर लाती
माँ का संबल पग-पग पर
   मेरे काम है आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
  मिटा दी अपनी काया.
जीवन में सुख दुःख सहने की
  माँ ने बात सिखाई,
सबको अपनाने की शिक्षा
  माँ ने हमें बताई.
कठिनाई से कैसे लड़ना
  माँ ने हमें सिखाया.
हमें बनाने को ही माँ ने
  मिटा दी अपनी काया.
        शालिनी  कौशिक  
                  http://shalinikaushik2.blogspot.com

माँ के बारे मेँ जितना कहा जाये उतना ही कम है.....परमात्मा की अद्भुत अभिव्यक्ति है माँ।
ममता का सागर है माँ। इतनी विराट है माँ कि पिता की अलग से व्याख्या ही
नहीँ की जा सकती......
पिता भी उसी ममत्व मेँ समा जाते हैँ

प्रेम की पराकाष्ठा है माँ
सत्य तो यह है कि एक सीमा के बाद शब्द भी असमर्थ हो जाते हैँ.....माँ के
संबंध मेँ कहने को

बड़ी इच्छा है
मैँने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैँ
 अपनी माँ को समर्पित.............
तेरा अनंत कैसे उपकार मैँ चुकाऊँ
भूला हूँ राह अपनी
घर लौट कैसे आऊँ

बस और क्या कहूँ......
शब्द हैँ असमर्थ

--
Adarsh kumar patel
www.adarsh000.blogspot.com
www.adarsh000-samadhan.blogspot.com
www.sahityasindhu.blogspot.com



 " माँ": एक अहसास : एक पूर्णता !

   
यह समझने की नितांत आवश्यकता है कि आखिर यह "माँ" है क्या ?
    माँ है जननी,माँ है पालिनी,माँ है दुलारिनी.माँ क्या नहीं है! माँ तो संतान की छाया है,माँ तो संतान की तस्वीर है,तकदीर है,तज़बीज़ है......
    ज़रा सोचिये, माँ नहीं तो हम कहाँ ? हम नहीं तो हमारा "अहम्" कहाँ ? अरे इसी अहम् के लिए तो जीते हैं हम !
    यह नक्की मान लें कि माँ का एक-एक अंश हमारे में है.क्या-क्या अलग कर सकते हैं हम ? सच्ची बात तो यही है कि कुछ भी नहीं...... "गीले में सोने और सूखे में सुलाने" की बातें तो पुरानी हो गयी है ना ! पर क्या ऐसी बातों को बदल सकते हैं हम ?
    अरे किसी मादा पशु के भी, अगर हम उसके जन्म लेते बच्चे के समय, पास से फटक  जाएँ तो वह "दिन में तारे" दिखा देती है. भला क्यों ?वह तो मूक पशु मात्र ही तो है ! परन्तु हम भूल रहे हैं कि वह "माँ" है !!!!
    पुरानी कहावत है कि माँ का एक रात का भी क़र्ज़ नहीं चुका सकते हैं हम.पर कोई माँ क़र्ज़ चुकाने का कहती भी है क्या ? अरे सिर्फ वह तो " फ़र्ज़ ही तो याद दिलाती है ना !!
     कहाँ हक की लड़ाई लड़ रहे हैं हम ! कर्तव्य की बातें तो हमें सुहाती ही नहीं !!!!
    आएये माँ की रक्षा का संकल्प करें.बदले में दुलार ही दुलार,आशीर्वाद ही आशीर्वाद ,प्यार ही प्यार ,पोषण ही पोषण..........

 जुगल किशोर सोमानी
 जयपुर
 

आप सभी को हार्दिक शुभकामना व बधाई. आपके सुखमय भविष्य की शुभकामनाओ सहित आपका -- हरीश सिंह 
 
 

रामलीला मैदान की घटना पर कोर्ट सख्त, पूछा 'FIR क्यों नहीं?'

योग गुरु बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि काले धन के मुद्दे पर धरने के दौरान उन पर तथा उनके समर्थकों पर पिछले माह रामलीला मैदान में आधी रात को जो ज्यादतियां की गईं, उसके पीछे केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए दिल्ली पुलिस से कई सवाल किए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि बाबा के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? स्वामी रामदेव की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अनुरोध किया कि गृह मंत्री को मामले में सफाई देने का निर्देश दिया जाए और उन्हें स्वयं पेश होने के लिए नोटिस जारी किया जाए। जस्टिस बी. एस. चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि चार जून की इस घटना के बारे में दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया मिल जाने के बाद ही वह इस अनुरोध पर विचार

करेगी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख निर्धारित की।

जेठमलानी ने कहा कि योगगुरु ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध करने के लिए जंतर मंतर नहीं जाने का निर्णय किया था। वह अपने समर्थकों के साथ रामलीला मैदान पर ही प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान पुलिस कार्रवाई की गई।

जेठमलानी ने कहा कि चिदंबरम को इस बात का जवाब देने के लिए तलब किया जाना चाहिए कि
यह निर्णय कब किया गया और पूरे मैदान को खाली कराने का निर्णय क्यों किया गया। इससे पूर्व पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे से कहा कि कुछ ऐसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया दिए जाने की जरूरत है, जिन पर कानून लागू करने वाली एजेंसी ने मौन साध रखा है।

पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ योगगुरु के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? न्यायालय ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर इस मामले में सफाई दी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले वाले हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक जून से तीन जून के बीच क्या हुआ। उसने कहा कि डीवीडी, चित्रों और दस्तावेजों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि उस स्थल पर योगाभ्यास करवाया जा रहा था।

न्यायालय ने अधिकारियों से इस बात की सफाई देने के लिए कहा कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुलिस ने तम्बुओं से घेरी गई उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
By : mahabirparshad goel

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

भारत का विश्व पर ऋण (SWAMI VIVEKANAND)

सम्पूर्ण विश्व पर हमारी मातृभूमि का महान्‌ ऋण है । एक-एक देश को लें तो भी इस पृथ्वी पर दूसरी कोई जाति नहीं है, जिसका विश्व पर इतना ऋण है । जितना कि इस सहिष्णु एवं सौम्य हिन्दू का ! ‘‘निरीह हिन्दू'' कभी-कभी ये शब्द तिरस्कारस्वरुप प्रयुक्त होते है, किन्तु कभी किसी तिरस्कार-युक्त शब्द प्रयोग में भी कुछ सत्यांश रहना सम्भव हो तो वह इसी शब्द प्रयोग में है । यह ‘‘निरीह हिन्दू '' सदैव ही जगत्पिता की प्रिय संतान है ।

प्राचीन एवं अर्वाचीन कालों में शक्तिशाली एवं महान्‌ जातियों से महान्‌ विचारों का प्रादुर्भाव हुआ है । समय-समय पर आश्चर्यजनक विचार एक जाति से दूसरी के पास पहुंची हैं । राष्ट्रीय जीवन के उमड़ते हुए ज्वरों से अतीत में और वर्तमान काल में महासत्य और शक्ति के बीजों को दूर-दूर तक बिखेरा है । किन्तु मित्रो ! मेरे शब्द पर ध्यान दो । सदैव यह विचार-संक्रमण रणभेरी के घोष के साथ युद्धरत सेनाओं के माध्यम से ही हुआ है । प्रत्येक विचार को पहले रक्त की बाढ़ में डुबना पड़ा । प्रत्येक विचार को लाखों मानवो की रक्त-धारा में तैरना पड़ा । शक्ति के प्रत्येक शब्द के पीछे असंख्य लोगों का हाहाकार, अनाथों की चीत्कार एवं विधवाओं का अजस्र का अश्रुपात सदैव विद्यमान रहा । मुख्यतः इसी मार्ग से अन्य जातियों के विचार संसार में पहुंचे । जब ग्रीस का अस्तिव नहीं था । रोम भविष्य के अन्धकार के गर्भ में छिपा हुआ था, जब आधुनिक योरोपवासियों के पुरखे जंगल में रहते थे और अपने शरीरों को नीले रंगों में रंगा करते थे, उस समय भी भारत में कर्मचेतना का साम्राज्य था । उससे भी पूर्व, जिसका इतिहास के पास कोई लेखा नहीं जिस सुन्दर अतीत के गहन अन्धकार में झांकने का साहस परम्परागत किम्बदन्ती भी नहीं कर पाती, उस सुदूर अतीत से अब तक, भरतवर्ष से न जाने कितनी विचार-तरंगें निकली हैं किन्तु उनका प्रत्येक शब्द अपने आगे शांति और पीछे आशीर्वाद लेकर गया है । संसार की सभी जातियों में केवल हम ही हैं जिन्होंने कभी दूसरों पर सैनिक-विजय प्राप्ति का पथ नहीं अपनाया और इसी कारण हम आशीर्वाद के पात्र हैं ।


एक समय था-जब ग्रीक सेनाओं के सैनिक संचलन के पदाघात के धरती कांपा करती थी । किन्तु पृथ्वी तल पर उसका अस्तित्व मिट गया । अब सुनाने के लिए उसकी एक गाथा भी शेष नहीं । ग्रीकों का वह गौरव सूर्य-सर्वदा के लिए अस्त हो गया । एक समय था जब संसार की प्रत्येक उपभोग्य वस्तु पर रोम का श्येनांकित ध्वज उड़ा करता था । सर्वत्र रोम की प्रभुता का दबदबा था और वह मानवता के सर पर सवार थी पृथ्वी रोम का नाम लेते ही कांप जाती थी परन्तु आज सभी रोम का कैपिटोलिन पर्वत खण्डहारों का ढेर बना हुआ है, जहां सीजर राज्य करते थे वहीं आज मकड़ियां जाला बुनती हैं । इनके अतिरिक्त कई अन्य गौरवशाली जातियां आयीं और चली गयी, कुछ समय उन्होंने बड़ी चमक-दमक के साथ गर्व से छाती फुलाकर अपना प्रभुत्व फैलाया, अपने कलुषित जातीय जीवन से दूसरों को आक्रान्त किया; पर शीर्घ ही पानी के बुलबुलों के समान मिट गयीं । मानव जीवन पर ये जातियां केवल इतनी ही छाप डाल सकीं ।
किन्तु हम आज भी जीवित हैं और यदि आज भी हमारे पुराण-ऋषि-मुनि वापस लौट आये तो उन्हें आश्चर्य न होगा; उन्हें ऐसा नहीं लगेगा कि वे किसी नये देश में गए । वे देखेंगे कि सहस्रों वर्षो के अनुभव एवं चिन्तन से निष्पन्न वही प्राचीन विधान आज भी यहां विद्यवान है; अनन्त शताब्दियों के अनुभव एवं युगों की अभिज्ञता का परिपाक -वह सनातन आचार-विचार आज भी वर्तमान है, और इतना ही नहीं, जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, एक के बाद दूसरे दुर्भाग्य के थपेड़े उन पर आघातों करते जाते हैं । पर उन सब आघातों का एक ही परिणम हुआ है कि वह आचार दृढ़तर और स्थायी होते जाते हैं। किन्तु इन सब विधानों एंव आचारों का केन्द्र कहां है । किस हृदय में रक्त संचलित होकर उन्हे पुष्ट बना रहा है । हमारे राष्ट्रीय जीवन का मूल स्रोत है । इन प्रश्नों के उत्तर में सम्पूर्ण संसार के पर्यटन एवं अनुभव के पश्चात मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूं कि उनका केन्द्र हमारा धर्म है । यह वह भारत वर्ष है जो अनेक शताब्दियों तक शत शत विदेशी आक्रमणों के आक्रमणों के आघातों को झेल चुका है । यह ही वह देश है जो संसार की किसी भी चट्टान से अधिक दृढ़ता से अपने अक्षय पौरुष एवं अमर जीवन शक्ति के साथ खड़ा हुआ है । इसकी जीवन शक्ति भी आत्मा के समान ही अनादि, अनन्त एवं अमर है और हमें ऐसे देश की संतान होने का गौरव प्राप्त है ।

--
डा. के कृष्णा राव
प्रांतीय संवाद प्रभारी
म.प्र. (पश्चिम)
09425451262

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

Old Photos-Vintage Photos of Temples

Photograph of a Temple in Trichinopoly (Tiruchirappalli) Tamil Nadu - 1890's
By. Kavita patel 
 

क्या आप सेक्युलर है ? Are you a secularist? -१

विश्व में लगभग ५२ मुस्लिम देश है, क्या कोई एक भी मुस्लिम देश है जो हज सब्सिडी देता है ?

२.   -  क्या एक भी मुस्लिम देश है , जहाँ हिन्दुओ का विशेष अधिकार है जैसा मुस्लिमो को भारत में दी जाती है ?

३.    -  एक भी मुस्लिम देश है जिसका राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री गैर मुसलमान हो ?

४.     -  बताए कि किसी एक मुल्ला या मैलावी ने आतंकवादियों के खिलाफ “ फतवे “ घोषित किये हो ?

५.     -  हिंदू बहुल बिहार, महाराष्ट्र केरल, पांडिचेरी आदि के मुख्यमंत्रियों के रूप में मुसलमान निर्वाचित है| क्या कभी एक हिंदू, मुस्लिम बहुल जम्मू और कश्मीर या ईसाई बहुल नागालैंड/मिजोरम के मुख्यमंत्री बनाने कि कल्पना कर सकता है ?

६.    -  मंदिरों के फंड मुसलमानों और ईसाईयों के कल्याण केल्लिये क्यों खर्च किया जाता है ? जब कि वे अपने पैसा मुक्त रूप से कही पर खर्च कर सकते है |

७.     -  क्यों गांधी जी ने खिलाफत आंदोलन (हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के साथ कुछ नहींका समर्थन किया है और क्या वह बदले में मिल गया?

८.    -  क्यों गाँधी जी ने कैबिनेट के निर्णय पर आपत्ति जताई की सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण सार्वजनिक धन से नही किया जायेगा ? जब कि १९४८ में नेहरू और पटेल को सरकारी खर्च पर दिल्ली के मस्जिदों के नवीनीकरण के लिए दबाव बनाया |

९.   - यदि मुसलमान और ईसाई महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि में अल्पसंखयक है तो हिंदू जम्मू और कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, अरुणांचल प्रदेश, मेधालय आदि में क्यों नही अल्पसंख्य है ? हिन्दुओ को इन राज्यों में अल्पसंख्य का अधिकार क्यों नही दिया जाता है ?

१०- घोधरा कांड को आंधी तूफ़ान कि तरह जब नही तब उडाया जाता है | जब कश्मीर से ४ लाख हिन्दुओ का सफाया किया गया | इसकी याद क्यों नही आती है ?

११- १९४७ में, जब भारत का विभाजन हुआ तो पाकिस्तान में हिन्दुओ कि जनसँख्या २४ % थी \ आज १% के बराबर नही है | पूर्वी पाकिस्तान ( बंगलादेश) में हिन्दुओ कि जनसँख्या ३०% थी, आज लगभग ७% है | लापता हिन्दुओ का क्या हुआ ? क्या हिन्दुओ के लिए मानवाधिकार नही है ?

१२- .  इसके विपरीत, भारत में मुस्लिम जनसँख्या १९५१ में १०.४% थी और आज १८% से ऊपर है | जबकि हिंदू कि जनसँख्या ८७.२०% थी जो २०११ में ८०% रह गयी है | क्या किसी राजनीतिक ने मुसलमानों से परिवार नियोजन के बारे कहा है ?

१.   -  क्या आप समझते है कि – संस्कृत सांप्रदायिक है और उर्दू धर्मनिरपेक्ष है ?, मंदिर सांप्रदायिक है और मस्जिद धर्मनिरपेक्ष है ?, साधू सांप्रदायिक है और इमाम धर्मनिरपेक्ष है ?, भाजपा सांप्रदायिक है और मुस्लिम लीग धर्मनिरपेक्ष है ?, वन्देमातरम सांप्रदायिक है और अल्लाह-हो-अकबर धर्मनिरपेक्ष है ?, श्रीमान सांप्रदायिक है और मियां धर्मनिरपेक्ष है ?, हिंदू सांप्रदायिक है और इस्लाम धर्मनिरपेक्ष है ?, हिंदुत्व सांप्रदायिक है और जिहादवाद धर्मनिरपेक्ष है ? और अंत में, भारत सांप्रदायिक है और इटली धर्मनिरपेक्ष है ?
-
२.    - जब ईसाई और मुस्लिमो के स्कूलों में बाईबल और कुरान सिखाया जाता है तो हिन्दुओ के स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नही सिखाया जा सकता है ?

३.    - अब्दुल रहमान अंतुले को प्रसिद्द सिद्धि विनायक मंदिर प्रभादेवी मुम्बई का  ट्रस्टी बनाया गया था | क्या एक हिंदू ( खासकर मुस्लायम या लालू ) कभी मस्जिद या मदरसा के ट्रस्टी बन सकते है ?
४.      - डॉ. प्रवीण तोगडिया को कमजोर आधार पर कई बार गिरफ्तार किया गया है | क्या जमा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी को जो आईएसआई होने का दावा और भारत विभाजन की वकालत करने वाले को कभी गिरफ्तार किया गया है ?

५.  - जब हज यात्रियों को सब्सिडी दी जाती है  तो हिंदू को अमरनाथ और कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए टैक्स क्यों ?
   
     By---- blogtaknik
 
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