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शनिवार, 23 जुलाई 2011

आदर्श भल्ला जी की वाणी

     बचपन में कहानिया सुनने का बहुत शौक था,  उन्ही में से एक कहानी  फिर याद आती है, क्यों की मुझे शायद यह आज तक कई बार सुननी पड़ी है,  एक बार आप के साथ क्यों की यह कभी भी जीवित हो उठती है. एक राजा था राजपाठ  ठीक ठाक चल रहा था, चारो तरफ खुशहाली थी, खेत खलिहान भरे पुरे लहलहाते थे, खजाने अपार सम्पति से भरे पड़े थे. .........आज भी निकल रहे हैं.....  राजा बूढा हो चला था.  बस कमी थी तो सिर्फ एक.  और वो थी की राजा के कोई संतान नहीं थी.  दरबारी गन प्रजा जन, सभी बहुत चिंतित थे की आखिर राजा के बाद क्या होगा. 


१८५७ का पूरा सच

१८५७ का पूरा सच ..... देश में एक गीत बहुत ज्यादा गाया जाता है.... " दे दी हमे आजादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल... " अब कोई ये बताये की जिस देश ने १८३० का संथाल, १८३९ का कूका आन्दोलन, १८३८ का भील आन्दोलन, सिख आन्दोलन, नागा साधू आन्दोलन में ४ करोड़ भारतीय शहीद हुए .... उसके बाद देश के इतिहास में महान प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुए जिसमे १ करोड़ ७० लाख भारतीयों ने मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर किये...... देश में ७ लाख क्रान्तिकारियो जिनमे भगत सिंह, अशफाक उल्लाह खान, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, सुखदेव, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, राजेंदर लाहिरी, जतिन दस, रोशन लाल, भगवती चरण वोहरा, दुर्गा भाभी ने देश की अजादी के लिए प्राण न्योछावर कर दिए.

*** राहुल की राजनीतिक सक्रियता - एस. शंकर ***

राहुल गांधी स्वत: जब भी कुछ महत्वपूर्ण बोलने की कोशिश करते हैं तो गड़बड़ हो जाती है। प्राय: कांग्रेस के रणनीतिकारों को स्पष्टीकरण देने आना पड़ता है। राहुल को सक्रिय राजनीति में आए 13 वर्ष हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में ये अच्छे लक्षण नहीं कि बार-बार उनके बयान पर सफाई देनी पड़े। 'एक प्रतिशत' आतंकी घटनाओं
के न रुक सकने वाला नवीनतम कथन भी वैसा ही साबित हुआ। दो महीने पहले भच4�र्ष हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में ये अच्छे लक्षण नहीं क�6 में असत्य साबित हुए। इससे पहले राहुल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को एक जैसा बता चुके हैं। ऐसे बयानों से कांग्रेस को कुछ चुनावी लाभ भले मिले, किंतु देश का हित नहीं हो रहा। शत्रु और मित्र के प्रति ऐसी समदर्शिता से आतंकवाद विरोधी लड़ाई कमजोर ही हुई है।

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

आज का भारत वर्ष !


जब आंतरिक मामले हों कमजोर
और हास्यास्पद हो विदेश नीति
अनुशाशन शुचिता क़ानून प्रबंधन
शून्य हों राजनैतिक इच्छाशक्ति 

भ्रष्टाचार के नशे में धुत गाड़ीवान
जब हम बैलों के ऊपर बोझ लादे
जबरन पिलाए रोज दूषित पानी
और शाम बारूद के उपर खूंटे बांधे 

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
 - सुलभ

 http://sulabhpatra.blogspot.com/
--
Sulabh Jaiswal
Skype: IT.EXPERT

वैष्णव जन तो तेने कहिये - शम्भु चौधरी

कानून के इस अंधेपन, गूंगापन और नंगेपन को यदि देखना हो तो वह भारत के किसी भी हिस्से में जाकर देख सकते हैं। इस देश में पहले कुछ विदेशी भ्रमणकारी भारतीयों की गरीब बस्तियों में जाकर रहते उसका अध्ययन करते और भारत की दरिद्रता व नग्नता को एक अच्छा सा नाम जैसे ‘‘सिटी ऑफ जॉय’’ देकर अपना माल हमें ही बेचने में सफल हो जाते और हम भारतीय इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि "Kolkata is City of Joy" यह न सिर्फ हमारी खोखली मानसिकता को दर्शाती है।

जय हिंद, वन्देमातरम...

सोनिया जिसकी मम्मी है, वो सरकार (कोंग्रेस) निकम्मी है.

आडवानी जिसका ताऊ है, वो विपक्ष (भाजपा) बिकाऊ है.

बाकि कुछ (सपा, बसपा) मस्त है, पक्ष बदलने में लिप्त है.
...
बचे खुचे नाकाबिल (लालू आदि) है, इन्हें कुछ नहीं हासिल है.

देश को बचाना है, तो अब खुद ही आगे आना होगा.

अपने घरो के सुकून को छोड़ सड़को पे उतरना होगा.

ये हालत अब बदलो देश की, भगत सिंह तो हो पर पडोसी के घर में

अब हम खुद बन जाये भगत सिंह, देश हित में मरना कबूल हो

ऐ वतन, ऐ वतन!!!!! हमको तेरी कसम तेरी राहों पे जान अपनी लुटा जायेंगे.

फूल क्या चीज है भेंट अपने सिरों की चढ़ा जायेंगे.
जय हिंद, वन्देमातरम. वन्देमातरम.


यह हमें उदय पालजी ने ईमेल से भेजा है.

रविवार, 17 जुलाई 2011

सवाल-जवाब प्रतियोगिता भाग दो-- कसाब आतंकी या मेहमान

 कसाब आतंकी या भारतीय मेहमान

मुंबई बोम ब्लास्ट, क्या यह भारतीय ख़ुफ़िया विभाग की चूकहै,  क्या यह "ISI" पाकिस्तान की साजिश है??  या यह भ्रष्ट भारतीय राजनीती  या जन सेवको  (Civil Servants) की लापरवाही है.  
आइये  जानते है इस पर हमारे संस्थापक हरीश सिंहजी की क्या राय है.?

यह प्रश्न सभी भारतवासियों के दिल में खटक रहा है की कसाब के मामले में सरकार सही कर रही है गलत ...
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