यहाँ कोई नियम नहीं, कोई बंदिश नहीं, बस वही बोलिए जो आपके अन्दर है, क्योंकि आपके अन्दर है भारत कि असली तस्वीर, तो छोडिये बनावटीपन, और आज निकाल डालिए मन कि भड़ास, अपनी रचना भेजने, अपनी बात कहने के लिए हमें मेल करें. editor.bhadohinews@gmail.com

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

ऐसा भी एक है गांव जहाँ हर कोई करना चाहे नेत्रदान‏

 परहित सरिस धर्म नहीं भाई। इसका मर्म यमुनानगर के कनालसी गांव ने बखूबी समझा है। करीब 2500 की आबादी वाले इस गांव की एक तिहाई से ज्यादा आबादी ने नेत्रदान का संकल्प कर नेत्रहीनों की बेनूर दुनिया में रंग भरने का बीड़ा उठाया है। अपने बाद अपनी आंखों से दूसरों की जिंदगी में रोशनी करने का वचन उठाने में कनालसी के बूढ़े ही नहीं बच्चे भी पीछे नहीं हैं। कोशिश है अब इस गांव को शत-प्रतिशत नेत्रदानियों की बस्ती बनाने की। खास बात है कि नेत्रदान की शपथ लेने वालों में 200 बच्चे भी शामिल हैं। गांव के 15 परिवार तो ऐसे हैं, जिनके हर सदस्य ने नेत्रदान के लिए फार्म भरा है। इस महादान मिशन में लगे गांव के उत्साही युवाओं की कोशिश शेष बचे लोगों को भी नेत्रदान संकल्प के लिए रजामंद करने का है। ग्रामीण कनालसी को सौ फीसदी नेत्रदानी गांव बनाने के लक्ष्य को लेकर खासे उत्साहित हैं। क्षेत्र में रोटरी क्लब के असिस्टेंट गवर्नर संदीप जैन बताते हैं कि नेत्रदान को लेकर कनालसी के लोगों का उत्साह अपने आप में एक मिसाल है। बीते कुछ समय के दौरान क्लब के माध्यम से अब तक एक हजार लोग नेत्रदान संकल्प का फार्म भर चुके हैं। इस मुहिम से जुड़े स्थानीय युवा राजबीर का कहना है कि गांव में कुछ लोग लोग ऐसे भी हैं जिनके नेत्रदान संकल्प-पत्र रोटरी क्लब के पास नहीं हैं। इनमें अधिकांश बच्चे हैं जिनके नेत्रदान फार्म उनके माता-पिता ने घरों में ही रखे हैं। नेत्रदान को प्रोत्साहन की इस महती मुहिम को सेवा भारती संस्था से जुड़े 74 वर्षीय कृष्ण गोपाल दत्ता भी बड़े प्रेरणा हैं। दत्ता लोगों को नेत्रदान के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। उन्हें भरोसा है कि जल्द ही कनालसी का हर शख्स अपने आंखों को अमर कर चुका होगा और उनके विश्वास का आधार गांव के लोगों की नेत्रदान संकल्प के प्रति कटिबद्धता है। 
-प्रस्तुत आलेख मुझे ख़ुशी गोयल ने भेजा है मुझे यह हिंदुस्तान की आवाज़ के लिए उपयुक्त प्रतीत हुआ इसीलिए इसे मैं यहाँ प्रकाशित कर रही हूँ आप सभी अपने विचार टिपण्णी के माध्यम से भी प्रस्तुत कर सकते हैं और ख़ुशी को उनके मेल आई-डी पर भी भेज सकते हैं .ख़ुशी का मेल-आई डी है -
प्रस्तुति-शालिनी कौशिक
 

सोमवार, 25 जुलाई 2011

भ्रूण-हत्या, आधुनिक समाज के माथे पर किसी अजन्मे बच्चे के खून का लगा एक काला टीका.


पर समाज की उस बुरी नज़र का क्या...जो उस अजन्मे बच्चे पर लग चुकी होती हैं, देश के दूर-दराज़ गाँओं में ही नहीं अपितु आज के आधुनिक समाज में या शहरों में भी ये कुकृत्य देखने को मिलता है, और...सबसे ज्यादा भ्रूण-हत्याएं इसलिए की जाती हैं..क्योंकि.....वो भ्रूण एक लड़की का है......
इस तरह से तो प्रकृति नष्ट हो जायेगी,..... जब प्रकृति को पालने वाली...नारी या...माँ ..ही न होगी..... 

रविवार, 24 जुलाई 2011

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी

राज्यों को और अधिक शक्तियां एवं संसाधन  सौंपने से राष्ट्र की उन्नति तीव्र गति से होगी 
       
      केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का वितरण एक ऐसी विशेषता है जो संघात्मक संविधानों में प्रमुख है .प्रो.के.सी.व्हव्हियर के अनुसार -,''संघात्मक सिद्धांत से तात्पर्य है ,संघ व् राज्यों में शक्तियों का वितरण ऐसी रीति से किया जाये कि दोनों अपने अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हों ,किन्तु एक दूसरे के सहयोगी भी हों.''इसका तात्पर्य यह है कि राज्यों को कुछ सीमा तक स्वायत्ता होनी चाहिए .अमेरिकन संविधान संघात्मक संविधानों का जन्म दाता है उसमे केंद्र की शक्तियां परिभाषित की गयी है ,राज्यों की नहीं  .अमेरिकन संविधान में अवशिष्ट शक्तियां राज्यों में निहित की गयी हैं .परिणाम स्वरुप राज्य अधिक शक्तिशाली थे ;किन्तु कालांतर में आवश्यकता पड़ने पर केंद्र की शक्तियां बढती गयी और राज्यों की स्वायत्ता का ह्रास होता गया वर्तमान में स्थिति यह है कि  राज्यों की स्वायत्ता नाम मात्र की रह गयी है.
      
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...