सनातन संस्कृति की मूर्धन्य पत्रिका "कल्याण" के अंक ८ (अगस्त २०११) में वर्तमान राजनीति को झकझोर देने वाली , श्री मान सुरेन्द्र कुमार जी द्वारा प्रेषित , एक अत्यंत ही शिक्षाप्रद घटना का वर्णन प्रकाशित हुआ है .....
स्वनामधन्य अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने एक ऐसे व्यक्ति को अपने देश का रक्षामंत्री नियुक्त किया , जिसने हर मौके - बेमौके पर लिंकन साहब की कटु आलोचना की . राष्ट्रपति के निकटस्थ प्रायः सभी शुभ चिंतकों ने उन्हें ऐसी नियुक्ति न करने की सलाह दी , हर तरह से उन्हें समझाया कि जो व्यक्ति हमेशा आपकी कटु आलोचना , और वह भी हर स्तर पर , करते आया है उस व्यक्ति को आपने इतने महत्वपूर्ण पद पर क्यों आसीन किया है ?
अब ज़रा ध्यान से पढ़ें :
लिंकन साहब ने कहा कि मुझे "लिंकन भक्त" नहीं बल्कि "राष्ट्र भक्त" और योग्य व्यक्ति इस पद के लिए चाहिए , और इनसे योग्य व्यक्ति इस दायित्व के लिए कोई हो ही नहीं सकता
अब मेरी बात :
क्या हमारे देश की राजनैतिक पार्टियाँ , उनके आलाकमान इस योग्यतम शासक की बात समझने की क्षमता रखते हैं ? है ऐसी हिम्मत ?
मेरे भूले भटके राजनैतिक साथियों ! स्वयं को नहीं राष्ट्र को बड़ा समझो , उसे ही नमन करने की हिम्मत तो करो !!!!
निंदक नियरे राखिये - आँगन कुटी छवाय l बिन साबू बिन पानि के - निर्मल करे सुभाय ll
जुगल किशोर सोमाणी , जयपुर
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