भारतीय क़ानून व्यवस्था को ऐसा जटिल बना कर छोड़ दिया है कि बड़े से बड़ा अपराधी ( आज कल इस श्रेणी में अधिकाँश राजनैतिक पार्टियां भी शोभा बढ़ाने की हौड़ में जोर आजमाइस कर रही है !) आरामगाह (जिसे हम साधारण नागरिक जेल कहते हैं !) में शान-ओ-शौकत से अपनी सेहत सुधारने में लगा है.उस अपराधी को भली भांति मालुम है कि अनेक अनेक अनेक (जितनी भी बार 'अनेक' लिखो,कम ही पड़ता है !) लोग उसके लिए दुआ माँगने की कतार में खड़े हैं.
अब भला कसाब है क्या !!. बात बात पर सड़कों पर आकर कथित मानवतावादी ऐसे लोगों की हिफाज़त का डंका बजा जाते हैं. और हमारी 'भद्र' सरकार ऐसे लोगों को "पद्म.........." देती रहती है.
मैं "कसाब आतंकवादी है या मेहमान" .....इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता , 'नक्कारखाने में तुती' की आवाज़ है मेरी.हम कितने लाचार हैं कि आज ऐसे विषय पर चर्चा करनी पड़ती है !भूखे को रोटी , प्यासे को पानी , नंगे को कपड़ा चाहिए.... क्या यह विषयवस्तु के लायक सोच है ? हाँ , अगर ये नितांत प्रथम आवश्यकताएं हैं तो फिर चोर से लेकर खूंखार आतंकवादी को उसके कर्मों के अनुरूप सज़ा देना कैसे विषय बनाया जा सकता है !! यह तो कानून का "प्रथम" फ़र्ज़ है !
यही तो हमारी मज़बूरी है कि ऐसे कानूनी मसलों को भी साधारण जनता को 'विषय'बनाना पड़ता है........अनेक वर्षों तक सरकारी मेहमान ( प्रजातंत्र में सरकार जनता की मानी जाती है ! तो मेहमान भी हमारा ही हुआ न !) बन कर मुसटंडे बनो और फिर उतर जाओ राजनीति में - देश का भविष्य बनाने के लिए ! कसाब की क्या चर्चा करनी है ! अभी तो जवान है ! हमलो की ट्रेनिंग ली हुई है ! करने दो दस - बीस और हमले ! जनता तो 'बहादुरों' की तरह दूसरे ही दिन पुनः सड़कों पर आकर अपना शौर्य प्रदर्शन करती ही है !जांबाजी का तमगा जो लेना है ! आखिर हम भी तो इराक-इरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के 'समकक्ष' हैं.अगर ऐसे हर आतंकवादी को फांसी लगा दी जायेगी तो यह 'समकक्षता' कायम कैसे रहेगी !!!
अब आप साधारण जनता के तरह परन्तु देश और उसमें पैदा होने वाली हमारी संतानों के जनक होने के नाते थोड़े से ईमानदार गंभीर होकर चिंतन करना सीखो कि हमें करना क्या है !!!!! हम पिस रहे हैं : ये पीस रहे हैं ..... क्या यही सही रहेगा ? घायल शहर / देश की सड़कों पर चहलकदमी कर जांबाजी की जरुरत की जगह शौर्यवान बन कर हिफाज़त और खुद्दारी की पहल की आवश्यकता है ! पहले इस पर फैसला करो , फिर कसाब आदि की बात करेंगे...........
विक्षिप्त सरकार के शासित देश का एक ......
प्रस्तुतकर्ता
जुगल किशोर सोमाणी , जयपुर
अब भला कसाब है क्या !!. बात बात पर सड़कों पर आकर कथित मानवतावादी ऐसे लोगों की हिफाज़त का डंका बजा जाते हैं. और हमारी 'भद्र' सरकार ऐसे लोगों को "पद्म.........." देती रहती है.
मैं "कसाब आतंकवादी है या मेहमान" .....इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता , 'नक्कारखाने में तुती' की आवाज़ है मेरी.हम कितने लाचार हैं कि आज ऐसे विषय पर चर्चा करनी पड़ती है !भूखे को रोटी , प्यासे को पानी , नंगे को कपड़ा चाहिए.... क्या यह विषयवस्तु के लायक सोच है ? हाँ , अगर ये नितांत प्रथम आवश्यकताएं हैं तो फिर चोर से लेकर खूंखार आतंकवादी को उसके कर्मों के अनुरूप सज़ा देना कैसे विषय बनाया जा सकता है !! यह तो कानून का "प्रथम" फ़र्ज़ है !
यही तो हमारी मज़बूरी है कि ऐसे कानूनी मसलों को भी साधारण जनता को 'विषय'बनाना पड़ता है........अनेक वर्षों तक सरकारी मेहमान ( प्रजातंत्र में सरकार जनता की मानी जाती है ! तो मेहमान भी हमारा ही हुआ न !) बन कर मुसटंडे बनो और फिर उतर जाओ राजनीति में - देश का भविष्य बनाने के लिए ! कसाब की क्या चर्चा करनी है ! अभी तो जवान है ! हमलो की ट्रेनिंग ली हुई है ! करने दो दस - बीस और हमले ! जनता तो 'बहादुरों' की तरह दूसरे ही दिन पुनः सड़कों पर आकर अपना शौर्य प्रदर्शन करती ही है !जांबाजी का तमगा जो लेना है ! आखिर हम भी तो इराक-इरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के 'समकक्ष' हैं.अगर ऐसे हर आतंकवादी को फांसी लगा दी जायेगी तो यह 'समकक्षता' कायम कैसे रहेगी !!!
अब आप साधारण जनता के तरह परन्तु देश और उसमें पैदा होने वाली हमारी संतानों के जनक होने के नाते थोड़े से ईमानदार गंभीर होकर चिंतन करना सीखो कि हमें करना क्या है !!!!! हम पिस रहे हैं : ये पीस रहे हैं ..... क्या यही सही रहेगा ? घायल शहर / देश की सड़कों पर चहलकदमी कर जांबाजी की जरुरत की जगह शौर्यवान बन कर हिफाज़त और खुद्दारी की पहल की आवश्यकता है ! पहले इस पर फैसला करो , फिर कसाब आदि की बात करेंगे...........
विक्षिप्त सरकार के शासित देश का एक ......
प्रस्तुतकर्ता
जुगल किशोर सोमाणी , जयपुर
3 टिप्पणियां:
kesab koi aam admi nahi hai jeh to congress khas kar raul vinchi ke jija or sonea ka putar hai , kapil sibbal ke ladke ke jaar hai manmohan sing ke pagde hai es leya jeh sabi us ke puri tarha hefagat me lage hai. jeh kesay apne preya ko fansi de sakte hai.
jai hind
bahut sundar, achchha likha aapne somani ji,
विचारणीय ||
बधाई ||
एक टिप्पणी भेजें