करेगी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख निर्धारित की।
जेठमलानी ने कहा कि योगगुरु ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध करने के लिए जंतर मंतर नहीं जाने का निर्णय किया था। वह अपने समर्थकों के साथ रामलीला मैदान पर ही प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान पुलिस कार्रवाई की गई।
जेठमलानी ने कहा कि चिदंबरम को इस बात का जवाब देने के लिए तलब किया जाना चाहिए कि
यह निर्णय कब किया गया और पूरे मैदान को खाली कराने का निर्णय क्यों किया गया। इससे पूर्व पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे से कहा कि कुछ ऐसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया दिए जाने की जरूरत है, जिन पर कानून लागू करने वाली एजेंसी ने मौन साध रखा है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ योगगुरु के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? न्यायालय ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर इस मामले में सफाई दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले वाले हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक जून से तीन जून के बीच क्या हुआ। उसने कहा कि डीवीडी, चित्रों और दस्तावेजों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि उस स्थल पर योगाभ्यास करवाया जा रहा था।
न्यायालय ने अधिकारियों से इस बात की सफाई देने के लिए कहा कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुलिस ने तम्बुओं से घेरी गई उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
जेठमलानी ने कहा कि योगगुरु ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध करने के लिए जंतर मंतर नहीं जाने का निर्णय किया था। वह अपने समर्थकों के साथ रामलीला मैदान पर ही प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान पुलिस कार्रवाई की गई।
जेठमलानी ने कहा कि चिदंबरम को इस बात का जवाब देने के लिए तलब किया जाना चाहिए कि
यह निर्णय कब किया गया और पूरे मैदान को खाली कराने का निर्णय क्यों किया गया। इससे पूर्व पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे से कहा कि कुछ ऐसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया दिए जाने की जरूरत है, जिन पर कानून लागू करने वाली एजेंसी ने मौन साध रखा है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ योगगुरु के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? न्यायालय ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर इस मामले में सफाई दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले वाले हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक जून से तीन जून के बीच क्या हुआ। उसने कहा कि डीवीडी, चित्रों और दस्तावेजों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि उस स्थल पर योगाभ्यास करवाया जा रहा था।
न्यायालय ने अधिकारियों से इस बात की सफाई देने के लिए कहा कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुलिस ने तम्बुओं से घेरी गई उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
By : mahabirparshad goel
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अद्यतन सूचना के लिए आभार ||
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