मित्रो आज आपको हिंदुस्तान की आवाज ईमेल ग्रुप से निचे दिए गए सवाल पूछे गए थे
सवाल न. १:-हमारा राष्ट्रीय गीत कोनसा है और इसके रचियेता कोन है.
सवाल न. २:-हमारा राष्ट्रीय गान कोनसा है और इसके रचियेता कोन है.
वन्दे मातरम् भारत का राष्ट्रगीत है।
बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन 1882 में उनके उपन्यास ‘आनन्द मठ’ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है । इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी।
जिन्होंने सही जवाब भेजें है उनके नाम इस प्रकार है
१:- अनामिका घटकजी
२:- विनायक शर्माजी
३:- राम प्रसाद जालानजी
४:- आदर्श कुमार पटेलजी
५:- महेश बारमाटे "माहीजी"
६:- दक्ष_राजाजी
७:- शिखा कौशिकजी
८:- हरीश शिंगजी
९ :- अभिषेक मिश्र जी
10 टिप्पणियां:
achchhi shuruat abhar..
धन्यवाद बस आपका आशीर्वाद है.
राष्ट्रगीत "जान गण मन " रचईता रविन्द्र नाथ टैगोर
राष्ट्रगान "वन्दे मातरम "रचईता बंकिम चन्द्र चटर्जी
वैसे ये सवाल पूछा कहाँ गया था यहाँ तो सवाल के व्साथ ही जवाब भी लिखा हिया
यह सवाल हिंदुस्तान की आवाज़ ग्रुप के माध्यम से ईमेल द्वारा पूछा गया था. जिसमे सही जवाब देने वालो के नाम यहाँ प्रकाशित किये गए है. अगर आप भी इस ईमेल ग्रुप से जुडना चाहें तो आप hindusthankiaawaz@googlegroups.com पर एक ईमेल करें ADD ME या मुझे जोड़े,. अथवा इस ब्लॉग के राईट साइड में एक विजेट है Subscribe to हिंदुस्तान कि आवाज़ उसमे अपना पता भरे और सीधे ही सदस्य बने.
ek achchhi shuruat
achchha prayas hai||
अपनी गुस्ताखी के लिए मै माफ़ी चाहूँगा, लेकिन मै ये नहीं समझ पा रहा हूँ , की वर्तमान में, हम लोग यहाँ किस तरह की राष्ट्रभक्ति, या राष्ट्रप्रेम प्रस्तुत करना चाहते है. क्या हमारा ये आदर्श है की, हम सिर्फ इतिहास को मद्देनजर रखते हुए, अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते रहे. पीढ़ी दर पीढ़ी हम शिखर से शून्य की ओर बढ़ते आ रहे है. भारत एक ऐसा देश बनकर रह गया है, जहा ४-६ लोग मिलकर सिर्फ भ्रस्ताचार, देशप्रेम इत्यादि की बाते कर रहे होते है. आक्रोश सब में है, मगर आवाज दब गयी है. क्यूकि सब लोग जानते है की उनकी आवाज में वो दम नहीं जो इस देश की मर्यादा को धुलिधुसरित करने वालो का दिल देहला सके. लोग आदर्श मानते है भगत सिंह, आजाद, सुभाष चन्द्र बोष आदि को, क्यूकि उनमे ये क्षमताये थी, कारण ये की उन्हें अपने स्वार्थ से जादा इस देश से मोहब्बत थी. वो समस्त राष्ट्र को अपना घर मानते थे. आज यहाँ उपस्थित सभी लोगो से मै ये पूछना चाहूँगा की एकाध को छोड़कर हर घर में विवाद क्यों है. क्यों हर जगह अशांति भरा माहौल है. भैया लोगो, हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुद्दा ही नहीं , जहा पर भी त्याग को छोड़कर स्वार्थ की भावनाए आएँगी वह अशांति फैलेगी. हर इंसान सिर्फ भौतिकता के पीछे भागता जा रहा है. किसी के पास वक़्त ही नहीं है, कुछ सुनने या समझने के लिए. एक पशु के सामान सुबह उठकर जितने अनैतिक कार्य करना होता है करते है. देश की चिंता किसे है. जिसे है वो यहाँ ब्लोगिंग कर रहे है बैठकर. क्यूकि जिन्हें हमने इस देश को संचालित करने के लिए चुना है, वो भूखे और नंगे है. जिनका पेट न कभी भर सकता है और न ही कोई वस्त्र इनके तन को ढक सकता है.
भैया हम तो इतना ही जानते है की, हमारी वर्तमान स्थिति से बेहतर स्थिति तो अंग्रेजो की गुलामी में थी, जहा कम से कम इस मुल्क के हर एक जर्रे की एक ही आवाज थी की:
"हम हिन्दुस्तानी है, अगर हम मोहब्बत में सर झुका सकते है, तो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सरो को काट भी सकते है."
आज मुल्क अपना है, और अपने लोग ही पराये है. हमारे ही घरो में हमे शुकून की तलाश रहती है. जानवर तो पुरे जंगल में खुद को सुरक्षित महसूस करता है, और हम खुद के घरो में नही महफूज़ नहीं है| (गहराई से विचार कीजिये, तो एक ही बात सामने आती है : "जब स्वयं को बदलना इतना मुश्किल है तो दूसरो को बदलना आसान कैसे हो सकता है.")
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"आशु"
email: ashuaryan4ever4u@gmail.com
Blog: http://ashu4ever4u.blogspot.com/
सराहनीय प्रयास है आपका बधाई.
एक आग्रह है कि विजेताओं की सूची में मेरे नाम की वर्तनी (अभिषेक मिश्र) गलत टाइप हो गई है. आशा है इस ओर ध्यान देंगे.
साभार.
ध्यान आकर्षण के लिए धन्यवाद. एवं गलती है लिए छमा प्रति हूँ. अब सुधार कर दिया गया है .
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