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शनिवार, 2 जुलाई 2011

केदारनाथ "कादर" की दो कविताये

"सूअर -नेता  "

 मेरा पागल मित्र 
नेता शब्द से 
और ज्यादा 
पगला जाता है 
वह सूअरों के
आने पर खुश होकर 
गली में नाचता  है
वह -कहता है 
नेताओं से -सूअर के बच्चे
हैं ज्यादा अच्छे
मेरी गली में आकर 
सफाई कर जाते हैं 
अपने स्तर की 
गन्दगी खाकर 
मगर नेता आकर 
नाव के समय
बस वायदे दिखाता है
सब के सब झूठे
मांगता है भीख
तुम्हारे वोट की
यही कहते हुए
मैं -सूअर से अच्छा हूँ
      

केदारनाथ "कादर"


"संसद तमाशा "

संसद का तमाशा तुम करवाते हो
तुम पलते हो पांच साल तक मुस्टंडे
जो दिखाते हैं संसद में अनाचार
करते हैं दुष्कर्म -तुम्हारी भावनाओं से
तुम्हारे हक़ का हर विधेयक
वेश्यालय की मजबूर  रंडी पर
उछाले गए रुपयों की तरह है
जहाँ सरकार तुम्हारी आँख के सामने 
एक एक कपडे उतारकर तुम्हारे 
खुद को तैयार करती है 
तुम्हारे साथ दुष्कर्म करने को 
तुमे ही तो चुना है अय्यासी के लिए 
जो करेगी तुम्हारे पूरे जीवन काल तक
तुम्हारी अंतर आत्मा का बलात्कार
सदन की बेशर्म कार्यवाही की तरह
तुम्हें चारों  खाने चित्त नंगा लिटाकर
तुम्हारे पोर पोर सुख को सोखती है 
और तुम बेचारे कुत्ते से , जीभ निकालकर
बस करते हो इंतजार पांच साल 
एक नए नेता से बलात्कार का   

केदारनाथ "कादर"
 kedarrcftkj.blogspot.com   

2 टिप्‍पणियां:

शब्द मसीहा ने कहा…

Politicians ko aaj ke mahaul mein gaali ke alava kya diya ja sakta hai. Agar gaali dena shameful event hai to kya aise logon ko kisi anya grah par le jakar chhod dein. Sau mein se 99 log aaj khafa hain...to kya itna bhi hasil nahin ki dil ki bhadas nikaal sakein ?

रविकर ने कहा…

bahut achcha ||

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