जब से ब्लोगिंग की दुनिया में कदम रखे हैं मैंने हमेशा यही देखा है की नेट पर भी वही चर्चाये होती हैं जो चाय पान की दुकानों पर होती रहती हैं. कोई अपने धर्म को बड़ा बताता है तो कोई अपने धर्म को, कोई बाबा या अन्ना का समर्थक है तो कोई उनका विरोधी., यहाँ भी लोग धर्म व जातियों द्वारा बनाये गए कानून में जकड़े हुए हैं. इंसानियत जैसा शब्द सिर्फ कहने के लिए रह गया है. आपसी प्रेम भाईचारा सब भाषण की बाते हो चुकी हैं. कोई कांग्रेस का समर्थक है तो कोई भाजपा का. कोई सपा तो कोई बसपा का. कभी सोनिया विदेशी हैं तो कभी बालकृष्ण, सब उलझे हुए हैं. भारत-पाकिस्तान की तरह हम सब कहते हैं की मसला बात-चीत से हल होना चाहिए पर बात-चीत होती कहा है. शिकायते बरकरार हैं और हमेशा रहेंगी, यह तब-तक चलेगा जब तक हम अपने मन के गुबार निकाल नहीं लेते. आपके मन में जो भी उथल-पुथल मचा है सब निकाल दीजिये. बिना किसी संकोच के....... आप ब्लोगर है तो इस साझा मंच के लेखक भी बन सकते है. या mailgrup के सदस्य बेधड़क होकर अपनी बात मेल द्वारा भेज दे. कही किसी के ब्लॉग पर आपके मन की बात लिखी है तो उसे ही कापी करके यहाँ भेजे. बस चोरी का आरोप न लगे. {कॉपी राईट } न हो, तो दूर करिए अपनी शिकायते और बन जाईये हिंदुस्तान की आवाज़....
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1 टिप्पणी:
sachmuch anootha.
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